Skip to main content

तस्बीर देख कर आपको को भी दुःख होगा

यह तस्वीर जीवन की बहुत बड़ी सच्चाई को बयां करती है। जब जीवन के रास्ते पर चलते चलते हम कभी ऐसे मोड़ पर आ जाते हैं जहां हमारा एक गलत क़दम हमारी प्रतिष्ठा, हमारा वजूद, हमारे जीवन को बर्बाद कर सकता है, और उस समय हमारी सहायता करने, हमें मुसीबत से निकालने के लिए कोई नही आता। इस तस्वीर को देखो, कितने दिन वो आवाज रोई होगी, कितने आंसू बहाए होंगे, कितने दिन-रातें बिन पानी, बिन रोटी गुजरी, दिल किस बात का इंतजार था। अगर हम एक पल के लिए भी उस जगह खुद को कल्पना कर लें, तो हम उस एहसास को समझ सकते हैं। तुम्हारे लिए कोई नहीं आएगा, कोई रिश्ता तुम्हारी तरफ नहीं देखेगा, तुम जो कदम उठाओगे उसके बारे में सौ बार सोचना और जो निर्णय लिया उसके बारे में हजार बार सोचना, कभी भी जल्दी निर्णय लेकर मूर्ख मत बनना, यह सोच कर जीना कि मेरा कोई नहीं है कोई आये तो खुश और कोई न आये तो भी दुखी नहीं।

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

“जोहार” का अर्थ (Johar Meaning)

“जोहार” का अर्थ (Johar Meaning) “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय” हैं। इस तरह “जोहार” का अर्थ हुआ – “सबका कल्याण करने वाली प्रकृति की जय” अर्थात “प्रकृति के प्रति संपूर्ण समर्पण का भाव ही जोहार है“।           जोहार

खाज्या_नायक आदिवासी चेतना के पहले प्रखर योद्धा

 #खाज्या_नायक आदिवासी चेतना के पहले प्रखर योद्धा शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन जोहार । क्राँतिकारी - खाज्या नायक निमाड़ क्षेत्र के सांगली ग्राम निवासी  गुमान नायक के पुत्र थे जो सन् 1833 में पिता गुमान नायक की मृत्यु के बाद सेंधवा घाट के नायक बने थे। उस इलाके में कैप्टन मॉरिस ने विद्रोही भीलों के विरूद्ध एक अभियान छेड़ा था जिसमें खाज्या नायक ने सहयोग दिया था जिसमें खाज्या नायक को ईनाम दिया गया था। बाद में 1 खाज्या को निलंबित कर दिया था यहीं से खाज्या का जीवन पलटा और उसने दो सौ आदिवासी लोगों का एक दल बना लिया था। एक हत्या के जुर्म में 1850 में ब्रिटिश सरकार ने उसे बंदी बना लिया और 10 साल की सजा दी गई। किन्तु 1856 में उसे छोड़ दिया गया और फिर वार्डन के लिए नौकरी दी गई किन्तु खाज्या ने नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़ा। खाज्या की भूमिका - खाज्या नायक आदिवासी चेतना का पहला प्रखर योद्धा थे जिन्होंने अंग्रेजों से सीधे युद्ध किया था। सन् 1807 की क्राँति में जिसने बड़वानी क्षेत्र के भीलों की बागडोर संभाली। सन् 1857 के महासंग्राम के कुछ समय पूर्व से ही खाज्या नायक क्राँति महानाय...

आदिवासी शायरी

गरज उठे गगन सारा, समुद्र छोड़ें अपना किनारा, हिल जाए जहान सारा, जब गूंजे जय जोहार का नारा