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बिरसा मुंडा की कहानी और वो क्यों हैं आज भी ख़ास?

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नके योगदान पर एक बार फिर पढ़ें बीबीसी हिन्दी पर अगस्त 2021 में प्रकाशित एक विशेष लेख. बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के ऐसे नायक रहे, जिनको जनजातीय लोग आज भी गर्व से याद करते हैं. आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा ने तब के ब्रिट शासन से भी लोहा लिया था. उनके योगदान के चलते ही उनकी तस्वीर भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी हुई है. ये सम्मान जनजातीय समुदाय में केवल बिरसा मुंडा को ही अब तक मिल सका है. बिरसा मुंडा का जन्म झारखंड के खूंटी ज़िले में हुआ था. उनके जन्म के साल और तिथि को लेकर अलग-अलग जानकारी उपलब्ध है, लेकिन कई जगहों पर उनकी जन्म तिथि 15 नवंबर, 1875 का उल्लेख है. हालांकि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे कुमार सुरेश सिंह ने बिरसा मुंडा पर एक शोध आधारित पुस्तक लिखी थी, 'बिरसा मुंडा और उनका आंदोलन.' कुमार सुरेश सिंह छोटानागपुर के कमिश्नर रहे और उन्होंने आदिवासी समाज का विस्तृत अध्ययन किया था. उनको गुज़रे 15 साल होने को हैं, लेकिन बिरसा मुंडा पर उनकी किताब प्रमाणिक किताबों में गिनी जाती है.

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