भगत सिंह (जन्म: 28 सितम्बर 1907[a] , वीरगति: 23 मार्च 1931) भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी एवं क्रान्तिकारी थे। चन्द्रशेखर आजाद व पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर इन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अभूतपूर्व साहस के साथ शक्तिशाली ब्रिटिश सरकार का मुक़ाबला किया। पहले लाहौर में बर्नी सैंडर्स की हत्या और उसके बाद दिल्ली की केन्द्रीय संसद (सेण्ट्रल असेम्बली) में बम-विस्फोट करके ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध खुले विद्रोह को बुलन्दी प्रदान की। इन्होंने असेम्बली में बम फेंककर भी भागने से मना कर दिया। जिसके फलस्वरूप अंग्रेज सरकार ने इन्हें २३ मार्च १९३१ को इनके दो अन्य साथियों, राजगुरु तथा सुखदेव के साथ फाँसी पर लटका दिया
#खाज्या_नायक आदिवासी चेतना के पहले प्रखर योद्धा शहादत दिवस पर कोटि कोटि नमन जोहार । क्राँतिकारी - खाज्या नायक निमाड़ क्षेत्र के सांगली ग्राम निवासी गुमान नायक के पुत्र थे जो सन् 1833 में पिता गुमान नायक की मृत्यु के बाद सेंधवा घाट के नायक बने थे। उस इलाके में कैप्टन मॉरिस ने विद्रोही भीलों के विरूद्ध एक अभियान छेड़ा था जिसमें खाज्या नायक ने सहयोग दिया था जिसमें खाज्या नायक को ईनाम दिया गया था। बाद में 1 खाज्या को निलंबित कर दिया था यहीं से खाज्या का जीवन पलटा और उसने दो सौ आदिवासी लोगों का एक दल बना लिया था। एक हत्या के जुर्म में 1850 में ब्रिटिश सरकार ने उसे बंदी बना लिया और 10 साल की सजा दी गई। किन्तु 1856 में उसे छोड़ दिया गया और फिर वार्डन के लिए नौकरी दी गई किन्तु खाज्या ने नौकरी छोड़ दी और स्वतंत्रता आन्दोलन में कूद पड़ा। खाज्या की भूमिका - खाज्या नायक आदिवासी चेतना का पहला प्रखर योद्धा थे जिन्होंने अंग्रेजों से सीधे युद्ध किया था। सन् 1807 की क्राँति में जिसने बड़वानी क्षेत्र के भीलों की बागडोर संभाली। सन् 1857 के महासंग्राम के कुछ समय पूर्व से ही खाज्या नायक क्राँति महानाय...
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